सभी 106 संविधान संशोधन की पूरी सूची | Samvidhan Sansodhan List In Hindi

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भारतीय संविधान के तक सभी 106 संविधान संशोधन की पूरी सूची (Samvidhan Sansodhan List In Hindi with pdf) विस्तार से दी गई हैं, जो अति महत्वपूर्ण है |constitutional amendment UPSC in Hindi

यहां पर संविधान में अभी तक हुए सभी संशोधन को विस्तार से समझाया गया है | राजनीति विज्ञान का यह टॉपिक सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अति महत्वपूर्ण है, जिसे जानना आपके लिए जरूरी हैं ।

पढ़ने और याद करने में आसानी के लिए महत्वपूर्ण संविधान संशोधन, जो विभिन्न परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं, पहले उनकी संक्षिप्त में लिस्ट दी गई है और उसके बाद विस्तार से अभी तक हुए सभी संविधान संशोधन को समझाया गया है ।

इसलिए आप अपने अनुसार इस आर्टिकल को पढ़िए, पहले महत्वपूर्ण संशोधन और उसके बाद सभी को विस्तार से भी जान सकते हैं ।

प्रमुख संविधान संशोधन लिस्ट | Samvidhan Sansodhan List In Hindi

संविधान संशोधनवर्षमहत्वपूर्ण बिंदु
पहला संविधान संशोधन1951नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया
7 वा संविधान संशोधन1956भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन
10 वा संविधान संशोधन1961दादरा एवं नगर हवेली को भारत में शामिल किया
12 वा संविधान संशोधन1962गोवा, दमन और दीव को शामिल किया
13 वा संविधान संशोधन1962नागालैंड को राज्य का दर्जा दिया
14 वा संविधान संशोधन1963पुडुचेरी को भारत में शामिल किया
15 वा संविधान संशोधन1963उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की आयु 62 वर्ष की
18 वा संविधान संशोधन1966पंजाब और हरियाणा अलग राज्य बने
21 वा संविधान संशोधन1967सिंधी को आठवीं अनुसूची में शामिल किया
22 वा संशोधन1969असम से अलग करके मेघालय बनाया
26वा संविधान संशोधन1971रियासतों के शासकों का प्रिवी पर्स समाप्त किया
27 वां संविधान संशोधन1971मिजोरम और अरुणाचल को केंद्रशासित बनाया
31 वा संविधान संशोधन1973लोकसभा में 545 सीटें की गई
35 वा संविधान संशोधन1974सिक्किम को सह-राज्य का दर्जा दिया गया
36 वा संविधान संशोधन1975सिक्किम को भारत में शामिल करके 22th राज्य बनाया
42 वा संविधान संशोधन1976लघु संविधान” बहुत परिवर्तन हुए नीचे विस्तार से पढ़ें
44 वा संविधान संशोधन1978संपत्ति के मौलिक अधिकार को हटाया
52 वा संविधान संशोधन1985दल-बदल विरोधी कानून
53 वा संविधान संशोधन1986अनुच्छेद 371 (G) में मिजोरम को राज्य बनाया
55 वा संविधान संशोधन1986अरुणाचल प्रदेश को राज्य बनाया
56 वा संविधान संशोधन1987गोवा को राज्य का दर्जा दिया
61 वा संविधान संशोधन1989मतदान की आयु 21 से 18 वर्ष की
65 वा संविधान संशोधन1990ST, SC आयोग की स्थापना (अनुच्छेद 338)
69 वा संविधान संशोधन1991दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बनाया
71 वा संविधान संशोधन1992कोकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषा को शामिल किया
73 वा संविधान संशोधन1992पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा
74वां संविधान संशोधन1993नगर पालिका को संवैधानिक दर्जा
86 वा संविधान संशोधन2002शिक्षा को मौलिक अधिकार में शामिल किया
91 वां संविधान संशोधन2003मंत्री परिषद को कुल सदस्यों का 15% किया
92 वां संविधान संशोधन2003बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को शामिल किया
97वा संविधान संशोधन2011सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा
101 वा संविधान संशोधन2017GST को लागू किया
102वां संविधान संशोधन2018केंद्र को OBC List का एकाधिकार
103 वां संविधान संशोधन2019EWS के लिए 10% आरक्षण
104वां संविधान संशोधन2019ST, SC आरक्षण 10 वर्षों के लिए बढ़ाया
105वां संविधान संशोधन2021राज्यों को OBC List बनाने का अधिकार
106वां संविधान संशोधन2023लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 1/3 आरक्षण
प्रमुख संविधान संशोधन लिस्ट 2024 updated
Samvidhan Sansodhan List In Hindi
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विस्तार से पढ़ें सभी संविधान संशोधन

पहला संविधान संशोधन, 1951 – पहले संविधान संशोधन में नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया, जिसमें उल्लेखित कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विलोकन नहीं किया जा सकता है ।

दूसरा संविधान संशोधन, 1952 – 1952 में दूसरे संविधान संशोधन के तहत 1951 की जनगणना के आधार पर लोकसभा के प्रतिनिधित्व को पुनः व्यवस्थित किया गया ।

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तीसरा संविधान संशोधन, 1954 – इसके तहत सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची को 33 वी प्रविष्टि के स्थान पर खाद्यान्न पशुओं के लिए चारा कच्चा कपास झूठ आदि को रखा गया जिससे उत्पादन और आपूर्ति को लोकहित के लिए सरकार उस पर नियंत्रण लगा सकती हैं ।

चौथा संविधान संशोधन, 1955 – इसके तहत व्यक्तिगत संपत्ति को लोकहित में राज्य द्वारा हस्तगत किए जाने पर न्यायालय इसकी क्षतिपूर्ति के संबंध में पुनर्विलोकन नहीं कर सकता ।

5 वा संविधान संशोधन, 1955 – पांचवे संशोधन में राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदान की गई कि व राज्यों के क्षेत्र सीमा और नाम को परिवर्तित करने के लिए प्रस्तावित केंद्रीय विधान पर अपने मत देने के लिए राज्य मंडलों हेतु समय सीमा का निर्धारण कर सकता है ।

छठा संविधान संशोधन, 1956 – इसके अंतर्गत सातवीं अनुसूची में संघ सूची में परिवर्तन करें अंतर राज्य विक्री कर पर कुछ वस्तुओं पर केंद्र सरकार को कर लगाने का अधिकार दिया गया ।

7 वा संविधान संशोधन, 1956 – सातवें संशोधन के तहत भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन को मंजूरी दी गई और पहले से तीन श्रेणियों में राज्यों के वर्गीकरण को समाप्त करके राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित किया गया । इसके अलावा केंद्र एवं राज्य की विधान पालिकाओं में सीटों की पुनर्व्यवस्था भी की गई ।

8 वा संविधान संशोधन, 1959 – इसके अंतर्गत केंद्र एवं राज्यों के निम्न शब्दों में क्रमशः लोकसभा और विधानसभा में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं आंग्ल भारतीय समुदाय के आरक्षण संबंधित प्रावधानों को अगले 10 वर्ष यानी 1970 तक बढ़ाया गया ।

9 वा संविधान संशोधन, 1960 – इस संशोधन के तहत पहली अनुसूची में परिवर्तन करके भारत-पाकिस्तान के बीच 1958 की संधि के अनुसार बेरुबारी और खुलना क्षेत्रों को पाकिस्तान को दे दिया गया ।

10 वा संविधान संशोधन, 1961 – इसके तहत भूतपूर्व पुर्तगाली क्षेत्रों जैसे कि दादर एवं नगर हवेली को भारत में शामिल करके केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया ।

11 वा सविधान संशोधन, 1961 – इसके तहत उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधित प्रावधानों में परिवर्तन करने के लिए संसद के संयुक्त अधिवेशन को बुलाया और यह निर्धारित किया गया की निर्वाचक मंडल में पदों की रिक्तता के आधार पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव को चुनौती नहीं दी जा सकती हैं ।

12वा संविधान संशोधन, 1962 – इसके अंतर्गत संविधान की पहली अनुसूची में संशोधन कर गोवा, दमन एवं दीव को भारत में केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल किया गया ।

13वा संविधान संशोधन, 1962 – इस संविधान संशोधन के तहत नागालैंड के संबंध में विशेष प्रावधान करके उसे राज्य का दर्जा दिया गया ।

14 संविधान संशोधन, 1963 – 14 संविधान संशोधन के तहत पुडुचेरी को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में भारत में शामिल किया गया ।

साथ ही हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, दमन एवं दीव तथा पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों में विधान पालिका एवं मंत्री परिषद की स्थापना का प्रावधान किया ।

15 वा संविधान संशोधन, 1963 – इस संविधान संशोधन के तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई तथा अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों की उच्च न्यायालय में नियुक्ति संबंधित प्रावधान बनाई गई ।

16 वा संविधान संशोधन, 1963 – इस संविधान संशोधन के तहत देश की संप्रभुता एवं अखंडता के हित में मूल अधिकारों पर कुछ प्रतिबंध लगाने के प्रावधान किए गए साथ ही तीसरी अनुसूची में भी परिवर्तन करके शपथ ग्रहण के अंतर्गत “मैं भारत की स्वतंत्रता एवं अखंडता को बनाए रखूंगा” को जोड़ा गया ।

17वा संविधान संशोधन, 1964 – इसमें संपत्ति के अधिकारों में और संशोधन करते हुए कुछ अन्य भूमि सुधार प्रावधानों को भी नौवीं अनुसूची में रखा गया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय पुनर्विलोकन नहीं कर सकता ।

18 वा संशोधन, 1966 – इस संविधान संशोधन के तहत पंजाब को भाषाई आधार पर पुनर्गठन करते हुए पंजाबी भाषी क्षेत्र को पंजाब, हिंदी भाषी क्षेत्र को हरियाणा के रूप में गठित किया गया तथा पर्वतीय क्षेत्र को हिमाचल प्रदेश में शामिल किया और चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया ।

19 वा संशोधन, 1966 – इसके अंतर्गत चुनाव आयोग के अधिकारों में परिवर्तन किए गए एवं उच्च न्यायालयों को चुनाव याचिकाएं सुनने का अधिकार दिया गया ।

20 वा संविधान संशोधन, 1966 – इसके अंतर्गत अनियमितता के आधार पर नियुक्त कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति को वैध माना गया ।

21 वा संशोधन, 1967 – इसके द्वारा सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया और यह उस समय आठवीं अनुसूची में 15 की भाषा बन गई इससे पहले 14 भाषाएं थी । अभी वर्तमान में 22 भाषाएं हैं

22 वा संशोधन संविधान, 1969 – 22 वें संशोधन द्वारा असम से अलग करके मेघालय राज्य बनाया गया ।

23 वा संशोधन, 1969 – इसके तहत विधान पालिकाओं में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के आरक्षण एवं मंगल भारतीय समुदाय के मनोनयन को और 10 वर्षों के लिए बढ़ाया गया इससे पहले यह आठवें संशोधन में किया था ।

24 वा संविधान संशोधन, 1971 – 24 वे संविधान संशोधन के तहत यह प्रावधान किया गया और संसद को शक्ति दी गई कि वह संविधान के किसी भी भाग को, जिसमें भाग 3 के मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, को संशोधित कर सकती हैं । साथ ही संशोधन संबंधित विधेयक जब दोनों सदनों से पारित होकर राष्ट्रपति के समक्ष जाएगा, तो राष्ट्रपति इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य होंगे ।

25 वा संविधान संशोधन, 1971 – इस संविधान संशोधन के तहत संपत्ति के मूल अधिकारों में कटौती की गई । अनुच्छेद 39 (B) और (C) में वर्णन किए गए नीति निर्देशक तत्वों को प्रभावित करने के लिए बनाए गए कानून को अनुच्छेद 14, 19 और 31 के उल्लंघन के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती हैं ।

26 वां संविधान संशोधन, 1971 – इस संविधान संशोधन के तहत भूतपूर्व देशी राज्यों के राजाओं की विशेष उपाधियों एवं उनके प्रिवी पर्स को समाप्त कर दिया गया ।

27 वां संविधान संशोधन, 1971 – इसके अंतर्गत मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था ।

29 वा संविधान संशोधन, 1972 – इसके अंतर्गत केरल भू-सुधार संशोधन अधिनियम, 1969 और 1971 को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कर दिया, जिसके बाद अब इन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती हैं ।

31 वा संविधान संशोधन, 1973 – इसके द्वारा लोकसभा के सदस्यों की संख्या 525 से बढ़ाकर 545 कर दी गई तथा लोकसभा में केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व 25 से घटाकर 20 सीटें कर दिया गया ।

32 वा संविधान संशोधन, 1974 – इस संविधान संशोधन के तहत यह प्रावधान किया गया कि संसद और विधान मंडल के सदस्यों द्वारा किसी भी दबाव या जबरदस्ती में दिया गया इस्तीफा अवैध होगा और अध्यक्ष को अधिकार होगा कि वह सिर्फ स्वेच्छा से और उचित त्यागपत्र को स्वीकार करें ।

34 वा संविधान संशोधन, 1974 – इसके तहत भी विभिन्न राज्यों द्वारा पारित 20 भू-सुधार अधिनियम को नौवीं अनुसूची में शामिल कर दिया गया ।

35 वा संविधान संशोधन, 1974 – 35 वें संविधान संशोधन के तहत सिक्किम को संरक्षित राज्य का दर्जा समाप्त करके इसे भारत का संबंध राज्य (co-state) के रूप में शामिल किया गया ।

36 वा संविधान संशोधन, 1975 – 36 वें संविधान संशोधन के तहत सिक्किम राज्य को भारत में शामिल किया गया और इसे भारत के 22वें राज्य के रूप में घोषित किया । सिक्किम की राजधानी गंगतोक हैं यहां पर पढ़ें सभी राज्यों की राजधानी

37 वा संविधान संशोधन, 1975 – इस संशोधन के तहत आपातकाल की स्थिति की घोषणा और राष्ट्रपति, राज्यपाल या केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक द्वारा अध्यादेश जारी किए जाने को न्यायिक पुनर्विचार से मुक्त रखा ।

39 वा संविधान संशोधन, 1975 – इस संविधान संशोधन के तहत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव संबंधित विवादों को न्यायिक पुनर्विचार से मुक्त रखा गया ।

41 वा संविधान संशोधन, 1976 – इस संशोधन के तहत राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की सेवा मुक्ति की आयु सीमा अधिकतम 62 वर्ष कर दी गई और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों की अधिकतम आयु 65 वर्ष रहने दी गई ।

42वां संविधान संशोधन, 1976 –

इस संविधान संशोधन द्वारा संविधान में व्यापक परिवर्तन लाए गए, इसलिए इसे “लघु संविधान” भी कहते हैं । यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा किया गया था और इसमें मुख्य बिंदु निम्नलिखित थे जो कि परीक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है –

  • 42 वें संविधान संशोधन के तहत संविधान में 10 मौलिक कर्तव्यों को भाग 4 में अनुच्छेद 51 का में शामिल किया । सभी मौलिक कर्तव्य पढ़ें
  • संविधान को न्यायिक परीक्षण से मुक्त कर दिया गया ।
  • लोकसभा और विधानसभा की अवधि को 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया ।
  • सभी विधानसभा एवं लोकसभा की सीटों की संख्या को इस शताब्दी के अंत तक (1999 तक) स्थिर कर दिया गया ।
  • संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं एकता और अखंडता आदि शब्द जोड़े गए ।
    • इस समय पहली बार और अभी तक एकमात्र ही भारत संविधान की प्रस्तावना में संशोधन किया गया था ।
  • सभी नीति निर्देशक तत्वों को मूल अधिकारों पर सर्वोच्चता सुनिश्चित की गई ।
  • इस संशोधन में यह भी निर्धारित किया गया है कि किसी भी केंद्रीय कानून की वैधता के लिए सर्वोच्च न्यायालय और राज्य के कानून की वैधता को उच्च न्यायालय ही परीक्षण कर सकता है ।
  • साथ ही यह भी निर्धारित किया गया कि किसी संवैधानिक वैधता के प्रश्न पर 5 से अधिक न्यायाधीशों की बेंच द्वारा दो तिहाई बहुमत से निर्णय होना चाहिए और यदि संख्या 5 तक हो तो सर्वसम्मति से होना चाहिए ।
  • 42 वें संविधान संशोधन में वन संपदा, शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण आदि विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में शामिल कर दिया गया ।
  • इस संशोधन में यह भी निर्धारित किया गया कि राष्ट्रपति, मंत्री परिषद एवं प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार कार्य करेगा ।
  • इसमें संसद को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए कानून बनाने के अधिकार दिए और सर्वोच्चता भी स्थापित की ।

44 वा संविधान संशोधन, 1978 –

यह संविधान संशोधन देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार मोरारजी देसाई के नेतृत्व में किया गया, जिसमें 42 वें संविधान संशोधन के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया ।

यह भी महत्वपूर्ण है जिसमें निम्नलिखित बिंदु ध्यान रखें –

  • संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटा दिया गया और इसे एक कानूनी अधिकारों की श्रेणी में रखा ।
  • इसके अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने के लिए आंतरिक अशांति की जगह संविधान में सैन्य विद्रोह का आधार रखा गया एवं आपात संबंधी अन्य प्रावधानों में भी परिवर्तन लाया गया जिससे उनका दुरुपयोग ना हो ।
  • लोकसभा एवं विधानसभाओं की अवधि को 6 वर्ष से घटाकर दोबारा 5 वर्ष कर दी गई ।
  • सर्वोच्च न्यायालय को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधी विवादों को हल करने की अधिकारिता प्रदान की गई ।

50 वा संविधान संशोधन, 1984 – इस संशोधन के तहत मौलिक अधिकारों में उल्लेखित अनुच्छेद 33 में संशोधन करके सैन्य सेवाओं की पूरक सेवाओं में कार्य करने वालों के लिए आवश्यक सूचनाएं एकत्रित करने देश की संपत्ति की रक्षा करने और कानून तथा व्यवस्था से संबंधित दायित्व भी दिए गए । साथ में इन सेवाओं द्वारा उचित कर्तव्य पालन हेतु संसद को कानून बनाने का अधिकार भी दिए गए ।

52 वा संविधान संशोधन, 1985 – इस संविधान संशोधन में राजनीतिक दल-बदल पर अंकुश लगाने का लक्ष्य रखा गया, जिसके तहत संसद और विधान मंडल के सदस्यों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, जिन्होंने अपने दल को छोड़ दिया जिनके चुनाव चिन्ह पर वह चुने गए थे ।

परंतु यदि किसी राजनीतिक दल की संसदीय पार्टी के एक तिहाई सदस्य अलग दल बनाना चाहते हैं, तो वह अयोग्य नहीं होंगे । दल बदल विरोधी प्रावधानों को संविधान की दसवीं अनुसूची में रखा गया । यहां से पढ़ें सभी अनुसूचियां

53 वा संविधान संशोधन, 1986 – इस संशोधन के तहत अनुच्छेद 371 में खंड ‘G’ जोड़कर मिजोरम को राज्य का दर्जा दिया गया ।

54 वा संविधान संशोधन, 1986 – इस संशोधन के तहत संविधान की दूसरी अनुसूची में भाग ‘D’ में संशोधन करके न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि करने का अधिकार संसद को दिया गया ।

55 वा संविधान संशोधन, 1986 – इस संशोधन के तहत अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया गया ।

56 वा संविधान संशोधन, 1987 – इस संशोधन के तहत गोवा को भारत के राज्य के रूप में दर्जा दिया गया तथा दमन और दीव को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में रहने दिया ।

57 वा संविधान संशोधन, 1987 – इस संशोधन के तहत अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण से संबंधित मेघालय, मिजोरम, नागालैंड एवं अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा सीटों का परिसीमन इस शताब्दी के अंत तक के लिए कर दिया गया ।

58 वा संविधान संशोधन, 1987 – इस संविधान संशोधन के तहत राष्ट्रपति को संविधान का प्रमाणिक हिंदी संस्करण प्रकाशित करने के लिए अधिकृत किया गया |

60 वा संविधान संशोधन, 1988 – इसके अंतर्गत व्यवसाय कर की सीमा को ₹250 से बढ़ाकर ₹2,500 प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष कर दिया गया |

61 वा संविधान संशोधन, 1989 – 61 वा संविधान संशोधन के तहत मतदान की आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई थी

65 वा संविधान संशोधन, 1990 – 65 वें संविधान संशोधन के तहत अनुच्छेद 338 में संशोधन करके अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन की व्यवस्था की गई |

69वा संविधान संशोधन, 1991 – इस संविधान संशोधन के तहत दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) बनाया गया तथा दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए विधानसभा और मंत्रिपरिषद का प्रावधान किया गया

70 वा संविधान संशोधन, 1992 – इस संशोधन के तहत दिल्ली और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्र की विधानसभा के सदस्यों को भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया | यहां पढ़ें भारत के राष्ट्रपति की पूरी जानकारी

71 वा संविधान संशोधन, 1992 – इस संविधान संशोधन में आठवीं अनुसूची में कोकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषा को शामिल किया गया

73 वा संविधान संशोधन, 1992-93 – 73वें संविधान संशोधन में पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया गया |इसके तहत संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ी गई तथा इस संशोधन के द्वारा संविधान में भाग 9 को जोड़ा गया | पंचायती राज संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 243 और अनुच्छेद 243 (क) से (ण) तक है |

74वां संविधान संशोधन, 1993 – 74 वें संविधान संशोधन के तहत संविधान में 12वीं अनुसूची को शामिल किया गया, जिसमें नगर पालिका, नगर निगम और नगर परिषद संबंधित प्रावधान किए गए । इसके तहत संविधान में भाग 9 (A) को जोड़ा गया ।

नोट : 73 वा संविधान संशोधन 25 अप्रैल 1993 और 74 वा संविधान संशोधन 1 जून 1993 को लागू हुए ।

76वा संविधान संशोधन, 1994 – इस संशोधन अधिनियम के तहत तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित किए गए पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 69% आरक्षण वाले उपबंध को नौवीं अनुसूची में शामिल कर दिया गया ।

78 वा संविधान संशोधन, 1995 – इसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों द्वारा पारित 27 भूमि सुधार कानूनों को नौवीं अनुसूची में शामिल किया और इस प्रकार नौवीं अनुसूची में कुल 284 अधिनियम हो गए ।

79 वा संविधान संशोधन, 1999 – इसके तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2010 तक के लिए बढ़ा दी गई । इसके अलावा इस संशोधन के माध्यम से यह व्यवस्था की गई कि राज्यों को प्रत्यक्ष केंद्रीय कर से प्राप्त कुल धनराशि का 29% हिस्सा प्राप्त होगा ।

82 वा संविधान संशोधन, 2000 – इस संशोधन के द्वारा राज्यों को सरकारी नौकरियों में आरक्षित स्थानों की भर्ती हेतु प्रोन्नति के मामलों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम प्राप्तांक में छूट देने की अनुमति प्रदान की गई ।

83 वा संविधान संशोधन, 2000 – इस संशोधन के द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण का प्रावधान ना करने की छूट दी गई । अरुणाचल प्रदेश राज्य में कोई भी अनुसूचित जाति नहीं होने के कारण उसे यह छूट दी गई ।

84 वा संविधान संशोधन, 2001 – इस संविधान संशोधन के द्वारा लोकसभा और विधानसभा की सीटों की संख्या में वर्ष 2026 तक कोई परिवर्तन नहीं करने का प्रावधान किया ।

85 वां संविधान संशोधन, 2001 – इस संविधान संशोधन में सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था की गई है ।

86 वा संविधान संशोधन, 2002 – 86 वा संविधान संशोधन के तहत देश में 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में अनुच्छेद 21 (A) के अंतर्गत संविधान में जोड़ा गया । साथ ही इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 45 तथा अनुच्छेद 51 (क) [मौलिक कर्तव्य] में संशोधन किए जाने का प्रावधान है ।

87 वा संविधान संशोधन, 2003 – इस संशोधन के तहत परिसीमन में जनसंख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 की जनगणना को रखा गया ।

88 वा संविधान संशोधन, 2003 – इसमें सेवाओं पर कर (Tax) लगाने का प्रावधान किया गया ।

89 वा संविधान संशोधन, 2003 – अनुसूचित जनजाति के लिए अलग से राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की व्यवस्था की गई ।

90 वा संविधान संशोधन, 2003 – इसके तहत असम विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों और गैर अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व बरकरार रखते हुए बोडोलैंड, टेरिटोरियल काउंसिल क्षेत्र, गैर-जनजाति के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा का प्रावधान किया गया ।

91 वा संविधान संशोधन, 2003 – 91 वां संविधान संशोधन के तहत केंद्र और राज्य में मंत्री परिषद के सदस्य संख्या क्रमशः लोकसभा और विधानसभा की कुल सदस्य संख्या का 15% से अधिक नहीं होगा, यह प्रावधान किया गया । जहां सदन की सदस्य संख्या 40 हैं वह अधिकतम 12 होगी ।

इसके अलावा इससंशोधन में दलबदल व्यवस्था में परिवर्तन करके केवल संपूर्ण दल के विलय को मान्यता दी ।

92 वा संविधान संशोधन, 2003 – इस संशोधन के तहत संविधान की आठवीं अनुसूची में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली भाषाओं को शामिल किया गया ।

93 वां संविधान संशोधन, 2006 – इस संशोधन के तहत शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के नागरिकों के दाखिले के लिए सीटों के आरक्षण की व्यवस्था की गई और यह संविधान के अनुच्छेद 15 की धारा 4 के प्रावधानों के तहत की गई है ।

94 वा संविधान संशोधन, 2006 – इस संशोधन के तहत बिहार राज्य में जनजाति कल्याण मंत्री नियुक्त करने संबंधित प्रावधान से मुक्त कर दिया गया और इस प्रावधान को छत्तीसगढ़ और झारखंड पर लागू किया गया ।

जनजाति कल्याण मंत्री नियुक्त करने का प्रावधान मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा में पहले से लागू है ।

95 वा संविधान संशोधन, 2009 – इस संशोधन के तहत अनुच्छेद 334 में संशोधन करके लोकसभा में अनुसूचित जातियों को अनुसूचित जातियों के आरक्षण और अंगल भारतीयों के मनोनीत करने संबंधित प्रावधान को 2020 तक बढ़ा दिया गया ।

96 वा संविधान संशोधन, 2011 – इसके तहत संविधान की आठवीं अनुसूची में उड़िया भाषा के स्थान पर ओड़िया लिखा गया ।

97वा संविधान संशोधन, 2011 – इस संविधान संशोधन के तहत सहकारी समितियों को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया और संविधान में निम्नलिखित प्रावधान किए गए –

  • अनुच्छेद 19 (1)(ग) के तहत सहकारी समिति बनाने का अधिकार मौलिक अधिकार बन गया ।
  • अनुच्छेद 43 (ख) के तहत राज्य के नीति में सहकारी समिति को बढ़ावा देने के लिए इसे नीति निर्देशक तत्वों में शामिल किया ।
  • सहकारी समितियां नाम से संविधान में नया भाग 9 (ख) को जोड़ा गया ।

98 संविधान संशोधन, 2012 – इस संशोधन के द्वारा संविधान में अनुच्छेद 371 (जे) शामिल किया गया । इसका उद्देश्य कर्नाटक के राज्यपाल को हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र के विकास हेतु कदम उठाने के लिए सशक्त बनाना ।

99 वा संविधान संशोधन, 2014 – इस संविधान संशोधन द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की स्थापना की गई ।

100 वा संविधान संशोधन, 2015 – संविधान संशोधन के तहत भारत बांग्लादेश के बीच में भूमि हस्तांतरण समझौता शामिल है ।

101 वा संविधान संशोधन, 2017 – संविधान के 101 वें संशोधन में वस्तु और सेवा कर (GST) को लागू किया गया ।

102 वां संविधान संशोधन, 2018 – इस संविधान संशोधन के तहत अनुच्छेद 338 (ख) को जोड़ा गया, जिसमें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा दिया गया | तथा अनुच्छेद 342 (क) के द्वारा केंद्र सरकार को OBC List का अधिकार दे दिया गया

103 वां संविधान संशोधन, 2019 – किस संविधान संशोधन के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई है जिसे हम EWS (Economic weaker section)के नाम से जानते हैं |

104वां संविधान संशोधन, 2019 – इस संशोधन द्वारा लोकसभा और विधानसभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण को 10 वर्ष यानी 2030 तक बढ़ा दिया गया है |

इसके साथ ही, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एंग्लो इंडियन के मनोनीत का प्रावधान हटा दिया गया |

105 वां संविधान संशोधन, 2021 – संविधान के 105 वे संशोधन द्वारा राज्य सरकारों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची तैयार करने का अधिकार दिया गया जो 102वे संविधान संशोधन में छीन लिया गया था | इस संशोधन के बाद राज्य सरकार सामाजिक और आर्थिक रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग की अपनी सूची तैयार कर सकते हैं और उन्हें आरक्षण का फायदा मिल सकता है |

इस संशोधन के बाद अब केंद्र के साथ राज्य की OBC सूची भी अलग से होगी |

इस संशोधन के बाद संविधान के अनुच्छेद 342 (A) के खंड 1 और 2 को बदला जाएगा तथा एक नया खंड 3 जोड़ा जाएगा | इसके अलावा अनुच्छेद 366(26)(C) और 338 (B) में भी संशोधन किया जाएगा |

Note – संसद में 127वे संविधान संशोधन विधेयक के द्वारा यह बिल लाया गया, जो 18 अगस्त 2021 को पास होकर 105 वां संविधान संशोधन कानून बना |

106 वां संविधान संशोधन 2023 – संविधान के नवीनतम 106वे संशोधन 2023 के तहत लोकसभा, राज्य विधानसभा और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई (1/3rd reservation) आरक्षण देना है | इस कानून के तहत महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने के साथ SC और ST महिलाओं के लिए भी आरक्षण शामिल है |

इस संशोधन के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 330 (A) में के तहत लोकसभा, अनुच्छेद 332 (A) के तहत राज्य विधानसभा और अनुच्छेद 239 (AA) के तहत दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान शामिल किया गया है |

यह प्रावधान लागू होने के 15 वर्षों तक रहेगा जिसे बाद में बढ़ाया भी जा सकता है | तथा अगली जनगणना के बाद सीटों के सीमांकन के बाद यह प्रावधान लागू हो जाएगा |

Note – संसद में 128वे संविधान संशोधन विधेयक के द्वारा यह बिल लाया गया, जो 21 सितंबर 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 106वां संविधान संशोधन बन गया है |

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संविधान संशोधन संबंधित प्रश्न

  1. भारतीय संविधान में 2022 तक कितने संशोधन हो चुके हैं ?

    भारतीय संविधान में 2022 तक कुल 106 बार संशोधन किया जा चुका है, जिनकी पूरी सूची विस्तार से इस पोस्ट में दी गई है | 106वां संविधान संशोधन महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में एक तिहाई आरक्षण देने से संबंधित है |

  2. 42वां संविधान संशोधन किससे संबंधित है ?

    1976 में इंदिरा गांधी ने 42 वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान की प्रस्तावना में परिवर्तन किया साथ ही लोकसभा और विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष के अलावा संविधान में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया |

  3. पहला संविधान संशोधन कब हुआ था ?

    पहला संविधान संशोधन 1951 में हुआ था जिसमें नौवीं अनुसूची को शामिल किया और इसमें भूमि सुधार संबंधित प्रावधान है |

  4. 86 वा संविधान संशोधन कब हुआ था ?

    संविधान में 86 वा संविधान संशोधन 2002 में हुआ जिसमें 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है

  5. किस संशोधन द्वारा मतदान की आयु को 21 से 18 वर्ष किया ?

    1989 में संविधान में 61वे संशोधन द्वारा मतदान की आयु को 21 से 18 वर्ष किया गया |

  6. 105 वां संविधान संशोधन क्या है ?

    105 वां संविधान संशोधन के तहत राज्य सरकार को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है |

  7. 106 वां संविधान संशोधन क्या है ?

    106वां संविधान संशोधन के द्वारा अगले 15 वर्षों तक महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभा में एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान किया गया है |

दोस्तों यहां पर संविधान के सभी महत्वपूर्ण संशोधन को अच्छे से समझाया गया है | अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिए । नई जानकारी के लिए Telegram Channel से जुड़े और राजनीति विज्ञान के सभी टॉपिक यहां से पढ़ें |

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Naresh Kumar is Founder & Author Of EXAM TAK. Specialist in GK & Current Issue. Provide Content For All Students & Prepare for UPSC.

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