दिल्ली सल्तनत | Delhi Sultanate | Indian History In Hindi

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नमस्कार दोस्तों आज किस पोस्ट में हम आपको मध्यकालीन इतिहास के एक महत्वपूर्ण टॉपिक दिल्ली सल्तनत के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं | यह टॉपिक मध्यकालीन इतिहास का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है और लगभग सभी परीक्षाओं में इस टॉपिक से प्रश्न पूछे जाते हैं तो आप इसे पूरा ध्यान से जरूर से पढ़िए | Indian History In Hindi
दिल्ली सल्तनत, Delhi Sultanate
दिल्ली सल्तनत, Delhi Sultanate

दिल्ली सल्तनत (Delhi Sultanate In Hindi)

दिल्ली सल्तनत में पांच विभिन्न शासनकाल या वंश पाए गए हैं:-
यह 5 वंश हैं – 1.गुलाम वंश, 2.खिलजी वंश, 3.तुगलक वंश, 4.सैयद वंश, 5.लोदी वंश |

Delhi Sultanate Trick

अगर आप इन पांचों को सही क्रम से याद करना चाहते हैं तो यह छोटी सी ट्रिक आप याद रख सकते हैं:-

Trick:- गुल खिले तुम शायद लोगे |

यहां पर गुल का अर्थ हैं गुलाम वंश, खिले का अर्थ खिलजी वंश, तुम का अर्थ है तुगलक वंश, शायद का अर्थ है सैयद वंश, लोगे का अर्थ है लोदी वंश |
अब हम आपको दिल्ली सल्तनत के सभी वंश के बारे में एक-एक करके पूरी जानकारी देते हैं सबसे पहले हम बात करेंगे गुलाम वंश की |

गुलाम वंश (Slave dynasty)

गुलाम वंश (Gulam Vansh) दिल्ली सल्तनत का पहला वंश था |
इसका शासन कार्यकाल 1206 ईस्वी से 1290 ईस्वी तक रहा था |

कुतुबुद्दीन ऐबक (Qutbuddin Aibak)

गुलाम वंश की स्थापना सन् 1206 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था |
वह मोहम्मद गौरी का गुलाम था, मोहम्मद गौरी ने तराइन के युद्ध लड़े थे |
कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर में बनाई थी |
अजमेर का ढाई दिन का झोपड़ा कुतुबुद्दीन ऐबक ने हीं बनवाया था | कुतुबुद्दीन ऐबक को लाखबख्श कहां जाता था यानी कि “लाखों का दान देने वाला”
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु सन 1210 ईस्वी में पोलो खेल खेलते समय घोड़े से गिरकर मौत हो गई |
कुतुबुद्दीन ऐबक को लाहौर में दफनाया गया |
कुतुबुद्दीन ऐबक का उत्तराधिकारी आरामशाह था, जिसने लगभग 8 महीने तक शासन किया था |

इल्तुतमिश (Iltutmish)

आरामशाह की हत्या करके इल्तुतमिश दिल्ली की गद्दी पर बैठा | इल्तुतमिश, कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम तथा दामाद था |
इल्तुतमिश ने अपनी राजधानी लाहौर से बदलकर दिल्ली स्थानांतरित की थी |
इल्तुतमिश ऐसा पहला शासक था, जिसने 1229 ईस्वी में बगदाद के खलीफा से सुल्तान के पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की |
इल्तुतमिश ने “इक्ता प्रणाली” चलाई थी |
इल्तुतमिश की मृत्यु 1236 में हो गई |
इल्तुतमिश के बाद उसका पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठा लेकिन वह एक अयोग्य शासक था, इसी कारण उसकी मां शाह तुर्कान छाई रही |
रुकनुद्दीन को हटाकर रजिया सुल्तान मुस्लिम महिला थी, जिसमें शासन की बागडोर संभाली | इसने पर्दा प्रथा को त्याग दिया तथा खुले मुंह राज दरबार आने लगी थी |
गुलाम वंश का अंतिम शासक शमुद्दीन कैमुर्स था |

खिलजी वंश (Khilji Dynasty)

गुलाम वंश के बाद दिल्ली सल्तनत पर शासन करने के लिए खिलजी वंश (Khilji Vansh) की स्थापना हुई | खिलजी वंश का शासन कार्यकाल 1290 से 1320 ईसवी के मध्य रहा था |
खिलजी वंश की स्थापना जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने की थी |
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया था |
जलालुद्दीन की हत्या 1206 ईस्वी में उसके भतीजे तथा दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने की थी |
अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को वेतन एवं स्थाई सेना की नींव रखी |
दिल्ली सल्तनत में सबसे विशाल स्थायी सेना अलाउद्दीन खिलजी के पास ही हुआ करती थी |
अलाउद्दीन ने भू राजस्व की दर को बढ़ाकर 1/2 भाग कर दिया |
अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में मूल्य नियंत्रण प्रणाली को लागू करवाया |
जमीयत खाना मस्जिद, अलाई दरवाजा, सिरी का किला हजार, खंभा महल आदि का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में करवाया था |
अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में 1297 से 1306 के बीच में छह बार मंगोलों के आक्रमण हुए |
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 1316 में हो गई थी |
अलाउद्दीन खिलजी के बाद मुबारक खिलजी दिल्ली का शासक बना उसने खलीफा पद की उपाधि धारण की थी खिलजी वंश का अंतिम शासक खुसरो खान था |

तुगलक वंश (Tughlaq Dynasty)

खिलजी वंश के बाद दिल्ली सल्तनत पर तुगलक वंश (Tuglak Vansh) का शासन आया था | तुगलक वंश का शासन काल 1320 से 1398 के बीच में रहा था | 

गयासुद्दीन तुगलक (Gayasuddin Tughlaq)

खिलजी वंश के अंतिम शासक खुसरो को हराकर गयासुद्दीन तुगलक 1320 गद्दी पर बैठा | गयासुद्दीन तुगलक का नाम गाजी मलिक था | गयासुद्दीन तुगलक ने कुए एवं नहरों का निर्माण करवाया और माना जाता है कि नहरों का निर्माण करने वाला गयासुद्दीन पहला शासक था | गयासुद्दीन ने दिल्ली के पास में तुगलकाबाद नामक शहर की स्थापना की और वहां पर रोमन शैली में एक किले का निर्माण करवाया, जो कि छप्पनकोट के नाम से जाना जाता है |

मोहम्मद बिन तुगलक (Mohammad bin Tughluq)

गयासुद्दीन के बाद जूना खान मोहम्मद बिन तुगलक के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा | दिल्ली सल्तनत के लगभग सभी शासकों में से मोहम्मद तुगलक सर्वाधिक शिक्षित विद्वान और योग्य व्यक्ति था | हालांकि उसे मोहम्मद बिन तुगलक को पागल/ रक्तपिपासु भी कहा जाता है | मोहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरी में स्थानांतरित की, जिसका नाम दौलताबाद रखा | अफ्रीका के मोरक्को देश का यात्री इब्नबतूता 1333 में भारत की यात्रा पर आया | इब्नबतूता की पुस्तक रेहला में मोहम्मद तुगलक के समय की घटनाओं का वर्णन किया गया है | मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु 1351 में हो गई थी | मोहम्मद बिन तुगलक के समय ही दक्षिण भारत में हरिहर और बुक्का ने 1336 ईस्वी में एक स्वतंत्र राज्य विजयनगर की स्थापना की थी |
मोहम्मद बिन तुगलक के बाद फिरोज तुगलक नया शासक बना | फिरोज तुगलक ब्राह्मणों पर जजिया कर लागू करने वाला पहला मुस्लिम शासक बना | फिरोज तुगलक ने बहुत सारे नए शहरों की स्थापना की, जिसमें हिसार फिरोजाबाद, फतेहाबाद, जौनपुर और फिरोजपुर प्रमुख हैं | फिरोज तुगलक ने सैन्य पदों को वंशानुगत बना दिया | फिरोज तुगलक की मृत्यु 1388 में हो गई थी | तुगलक वंश का अंतिम शासक नसरुद्दीन मोहम्मद तुगलक था |

सैयद वंश (Syed Dynasty)

तुगलक वंश के बाद सैयद वंश (Seyad Vansh) की स्थापना हुई | सैय्यद वंश का शासन काल 1414 से 1451 तक रहा |
सैयद वंश का संस्थापक खिज्र खां था | खिज्र खां ने सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की तथा इसने रैयत ए आला की उपाधि धारण की | खिज्र खान तैमूर लंग का सेनापति था | सैयद वंश का अंतिम सुल्तान अलाउद्दीन आलम शाह था सैयद वंश का शासन करीब 37 वर्षों के आसपास रहा था |

लोदी वंश (Lodi Dynasty)

दिल्ली सल्तनत का आखिरी लोदी वंश (Lodi Vansh) था, जिसकी स्थापना बहलोल लोदी ने 1451 में की थी | लोदी वंश का शासन काल 1451 से 1526 के बीच में रहा | दिल्ली पर प्रथम अफगान राज्य की स्थापना का श्रेय बहलोल लोदी को दिया जाता है | बहलोल लोदी ने बहलोल सिक्के का प्रचलन करवाया था | लोदी के बाद उसका पुत्र 1490 में निजाम खान सिकंदर शाह की उपाधि धारण करके दिल्ली के सिंहासन पर बैठे |
सिकंदर लोदी ने आगरा शहर की स्थापना की थी | सिकंदर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था | सिकंदर लोदी की मृत्यु 1517 में हो गई थी | इसके बाद उनका पुत्र इब्राहिम शाह आगरा के सिंहासन पर बैठा | 21 अप्रैल 1526 को पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ, जिसमें इब्राहिम लोदी की हार हुई और भारत में मुगल साम्राज्य का उदय हुआ |
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Naresh Kumar is Founder & Author Of EXAM TAK. Specialist in GK & Current Issue. Provide Content For All Students & Prepare for UPSC.

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