हरित क्रांति – भारत में कृषि क्रांतियां और उनके जनक | Harit Kranti Green Revolution

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इस टॉपिक में हरित क्रांति Harit kranti क्या है ? (Green Revolution In Hindi) इसके प्रभाव और भारत में कृषि क्रांतियां और उनके जनक की पूरी जानकारी देखने वाले हैं | परीक्षा की दृष्टिकोण से यह टॉपिक महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे पूरा जरूर पढ़ें |

भारत में कृषि के उत्पादन में वृद्धि के लिए एम.एस. स्वामीनाथन द्वारा हरित क्रांति की शुरुआत की गई | हरित क्रांति के अलावा भारत में कृषि क्रांति शुरू की गई, जिससे समग्र रूप से उत्पादन में वृद्धि हुई |

हरित क्रांति क्या है ? | Harit Kranti Kya Hai

आजादी के बाद देश की तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या तथा खाद्य संसाधनों की कमी के कारण 1966-67 में खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो गया था, जिससे निपटने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले फसलों की पैदावार को बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि वैज्ञानिक भारत रत्न एम.एस. स्वामीनाथन के नेतृत्व में हरित क्रांति की शुरुआत की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य खाद्यान्नों के उत्पादन को बढ़ाना था |
विश्व में हरित क्रांति की शुरुआत अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक डॉ. नॉर्मन बोरलॉग ने की थी |

अर्थात; उच्च उपज वाले बीजों एवं रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, कृषि में यंत्रों का उपयोग, बेहतर सिंचाई प्रणाली के कारण कृषि उत्पादन में हुई तीव्र वृद्धि को हरित क्रांति कहा जाता है |

हरित क्रांति के कारण हरियाणा, पंजाब और विशेष कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं एवं चावल के उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई और भारत में खाद्यान्न का संकट समाप्त हुआ |

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हरित क्रांति में प्रमुख रूप से निम्नलिखित घटक थे –

  • उन्नत किस्म के बीच का उपयोग करना (High Yield Variety – HYV Seeds)
  • रासायनिक उर्वरकों का उपयोग
  • कीटनाशक और खरपतवार नाशक का उपयोग
  • बेहतर सिंचाई प्रणाली – फवारा तथा बूंद बूंद प्रणाली
  • बेहतर भंडारण और साख सुविधा
  • बेहतर विपणन एवं वितरण सुविधा

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत के बाद फसल उत्पादन में तीव्र वृद्धि तो हुई, लेकिन इसके निम्नलिखित सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव देखे गए –

  • सकारात्मक प्रभाव
    • खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हुई
    • कृषि में रोजगार व आय बढ़ गई
    • प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ गया
    • गरीबी एवं खाद्य संकट में कमी हुई
    • देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ और आयात समाप्त हुआ
    • कृषि में वैज्ञानिक पद्धति और तकनीकी का उपयोग हुआ
    • कृषि के क्षेत्र में निवेश बढ़ा
    • सिंचाई की बेहतर सुविधा के कारण मानसून की निर्भरता कम हुई
  • नकारात्मक प्रभाव
    • हरित क्रांति का प्रभाव पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक ही सीमित रहा
    • क्षेत्र विशेष के किसानों की आय में असमानता बड़ी
    • बड़े किसानों को लाभ मिला है, जिससे असमानता और बढ़ी
    • मुख्यतः गेहूं और चावल तक ही सीमित रही
    • लगातार एक फसल पैटर्न के कारण भूमि की उत्पादक क्षमता कम हुई
    • भू-जल स्तर में गिरावट हुई
    • रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हुई
    • पर्यावरण प्रदूषण और खाद्य श्रृंखला पर दुष्प्रभाव पड़ा

भारत में प्रथम हरित क्रांति की सफलता के बावजूद उसकी कमियों को दूर करने के लिए तथा सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने और पर्यावरण संरक्षण जैसे प्रमुख विषयों के लिए 2006 में डॉ. APJ अब्दुल कलाम द्वारा विज्ञान कांग्रेस में द्वितीय हरित क्रांति की शुरुआत की गई |

  • इसमें सभी कृषि क्रियाओं; जैसे खाद्यान्न फसलें, व्यापारिक फसलें, पशुपालन, मत्स्य पालन, आदि को शामिल किया गया |
  • भारत के पूर्वी राज्यों में भी कृषि और संरचना को बढ़ाने पर जोर दिया |
  • जैविक कृषि पर बल दिया गया |
  • 2016 में, सिक्किम भारत का पहला जैविक खेती वाला राज्य बना |

हरित क्रांति की सफलता के बाद देश में खाद्यान्न उत्पादन को दुगना करने के लिए M.S. स्वामीनाथन द्वारा सदाबहार क्रांति की शुरुआत की गई | इसमें निम्नलिखित उद्देश्य पर बल दिया –

  • खेती में विज्ञान और तकनीक का प्रयोग करना
  • ऑर्गेनिक फार्मिंग में शोध को बढ़ावा देना
  • रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य करना
  • मृदा स्वास्थ्य पर ध्यान रखना
  • किसानों को उचित मूल्य उपलब्ध करवाना
Harit kranti

हरित क्रांति के अलावा, भारत में कृषि के क्षेत्र में अनेक क्रांतियां की शुरुआत हुई जिनकी सूची नीचे दी गई है –

भारत में कृषि क्रांतियां सूची

क्र.सं.क्रांति नामसंबंधित उत्पादनसंबंधित व्यक्ति
1.हरित क्रांतिखाद्यान्न उत्पादनएमएस स्वामीनाथन
2.सफेद क्रांतिदूध और डेयरी उत्पादनवर्गीज कुरियन
3.गुलाबी क्रांतिप्याज उत्पादनदुर्गेश पटेल
4.नीली क्रांतिमत्स्य उत्पादनअरुण कृष्णन
5.काली क्रांतिपेट्रोलियम
6.भूरी क्रांतिचमड़ा उत्पादनहीरालाल चौधरी
7.स्वर्ण क्रांतिफल और शहद उत्पादननिर्पाख टुटेज
8.रजत क्रांतिअंडा उत्पादनइंदिरा गांधी
9.धूसर (Grey) क्रांतिउर्वरक उत्पादन
10.लाल क्रांतिटमाटर और मांस उत्पादनविशाल तिवारी
11.पीली क्रांतितिलहन उत्पादनसैम पित्रोदा
12.सदाबहार क्रांतिसमावेशी विकासएमएस स्वामीनाथन
13.प्रोटीन क्रांतिदूसरी हरित क्रांति की तकनीकनरेंद्र मोदी और अरुण जेटली
14.गोल क्रांतिआलू उत्पादन

भारत में कृषि क्रांति संबंधित प्रश्न [FAQs]

हरित क्रांति के जनक कौन है ?

भारतीय कृषि वैज्ञानिक डॉ M.S. स्वामीनाथन भारत में हरित क्रांति के जनक हैं जबकि विश्व में हरित क्रांति का नेतृत्व डॉ. नॉर्मन बोरलॉग ने किया था |

सफेद क्रांति के जनक कौन थे ?

भारत में दुग्ध और डेयरी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सफेद क्रांति की शुरुआत डॉ. वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में किया गया था |

गुलाबी क्रांति किससे संबंध है ?

गुलाबी क्रांति का उद्देश्य फार्मास्यूटिकल, प्याज और झींगा उत्पादन बढ़ाने के लिए शुरू की गई थी | इसका नेतृत्व दुर्गेश पटेल ने किया था |

मत्स्य उत्पादन के लिए किस क्रांति की शुरुआत की थी ?

भारत में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नीली क्रांति की शुरुआत की गई थी |

स्वर्ण क्रांति का संबंध किस से है ?

स्वर्ण क्रांति की शुरुआत निर्पाख टुटेज के नेतृत्व में फल और शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया था |

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Naresh Kumar is Founder & Author Of EXAM TAK. Specialist in GK & Current Issue. Provide Content For All Students & Prepare for UPSC.

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