हिमालय पर्वतीय प्रदेश – भौतिक और प्रादेशिक विभाजन

4.5/5 - (4 votes)

भारत का भौतिक भूगोल – हिमालय पर्वतीय प्रदेश के बारे में पूरी जानकारी दी गई हैं | हिमालय का भौतिक विभाजन (Himalaya Ka Bhautik Vibhajan) – ट्रांस हिमालय, मुख्य हिमालय और शिवालिक हिमालय तथा हिमालय का प्रादेशिक विभाजन के बारे में भी पूरी जानकारी दी गई है |

भौगोलिक विशेषताओं के आधार पर भारत को पांच भागों में बांटा गया है –

  1. हिमालय पर्वतीय प्रदेश
  2. उत्तरी मैदानी प्रवेश
  3. प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश
  4. तटवर्ती मैदानी प्रदेश
  5. द्वीपीय समूह प्रदेश

भारत के भूगोल के लिए यह पांचो भौगोलिक विशेषताएं महत्वपूर्ण है, जिन पर अलग से आर्टिकल लिखे गए है | इस आर्टिकल में पहली विशेषता हिमालय पर्वत प्रदेश के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है |

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए यह टॉपिक अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे ध्यानपूर्वक पूरा जरूर पढ़ें |

हिमालय पर्वतीय प्रदेश

हिमालय पर्वतीय प्रदेश भारत के उत्तरी भाग में बृहद रूप से लगभग 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है | यह नवीन वलित पर्वत 74 डिग्री पूर्वी देशांतर से 96 डिग्री पूर्वी देशांतर रेखाओं के मध्य लगभग 25,00 किलोमीटर तक फैला हुआ हैं |

इस Topic के साथ सामान्य ज्ञान (Statics GK, Polity, Geography, History, Current Affairs) के सभी टॉपिक की PDF Bundles उपलब्ध हैं |

यहाँ क्लिक करें और Download करें …

हिमालय का भौतिक विभाजन | Himalaya Ka Bhautik Vibhajan

हिमालय पर्वत श्रृंखला का भौगोलिक आधार पर 3 प्रकार से बांटा गया है –

  1. ट्रांस हिमालय
  2. मुख्य हिमालय
  3. पूर्वांचल
Himalaya Ka Bhautik Vibhajan
Himalaya Ka Bhautik Vibhajan

ट्रांस हिमालय

  • ट्रांस हिमालय हिमालय पर्वत प्रदेश का सबसे उत्तरी भाग हैं, जो मुख्य रूप से लद्दाख और तिब्बत में स्थित हैं और इसे तिब्बत हिमालय भी कहा जाता है |
  • यह भाग उत्तर-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर लगभग 1,000 किलोमीटर तक फैला हुआ है |
  • यहां पर हिमालय की चौड़ाई लगभग 250 किलोमीटर है तथा औसत ऊंचाई लगभग 4,000 मीटर है |
  • ट्रांस हिमालय मुख्य हिमालय की वृष्टि छाया में होने के कारण यहां पर बरसात और वनस्पति का अभाव होता है और यहां पर शुष्क परिस्थितियां पाई जाती है |
  • लद्दाख का मरुस्थल किसी क्षेत्र का हिस्सा है |

ट्रांस हिमालय की पर्वत श्रेणियां –

  • ट्रांस हिमालय में मुख्य रूप से तीन प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैं –
    1. काराकोरम श्रेणी
    2. लद्दाख श्रेणी
    3. जास्कर श्रेणी

काराकोरम श्रेणी

  • काराकोरम श्रेणी ट्रांस हिमालय की सबसे उतरी श्रेणी है, जो पश्चिम में पामीर पठार से लेकर पूर्व में कैलाश पर्वत तक फैली हुई है |
  • काराकोरम ट्रांस हिमालय की सबसे ऊंची श्रेणी है |
  • विश्व की दूसरी सबसे ऊंची तथा भारत की सबसे ऊंची चोटी माउंट गोडविन ऑस्टन K-2 (8611 m.) काराकोरम श्रेणी में ही स्थित है |
  • इस श्रेणी में निम्नलिखित हिमनद पाए जाते हैं –सियाचिन, बतुरा, हिस्पर, बल्वारो, बिथाफो, आदि |
  • सियाचिन ग्लेशियर से नुब्रा नदी निकलती हैं तथा नुब्रा नदी घाटी में ही सियाचिन स्थित है |
  • नुब्रा घाटी श्योक और नुब्रा नदियों के संगम से बनी 3 भुजा वाली घाटी हैं, जो काराकोरम और लद्दाख की श्रेणी के बीच में स्थित है, जिसे पहले डुमरा (फूलों की घाट) कहते थे |

लद्दाख श्रेणी

  • लद्दाख श्रेणी, काराकोरम के दक्षिण में स्थित हैं तथा तिब्बत में इस श्रेणी के विस्तार को कैलाश पर्वत के नाम से भी जाना जाता है |
  • कैलाश पर्वत के दक्षिण में मानसरोवर झील स्थित हैं |
  • लद्दाख श्रेणी की सबसे ऊंची चोटी रकापेशी (7788 M.) हैं |
  • काराकोरम और लद्दाख श्रेणी के बीच लद्दाख का पठार हैं, जहां ठंडी शुष्क मरुस्थलीय परिस्थितियों पाई जाती हैं |
  • लद्दाख श्रेणी में खारदुंगला मुख्य दर्रा है, जो शोक एवं नुब्रा नदी घाटी को सिंधु नदी घाटी से जोड़ता है |
  • यहां क्लिक करके पढ़ें भारत के सभी दर्रे

जास्कर श्रेणी

  • जास्कर श्रेणी, ट्रांस हिमालय की सबसे दक्षिणी श्रेणी है, जो उत्तर-पश्चिम में सुरु नदी घाटी से दक्षिण-पूर्व में कर्णाली नदी तक फैली हुई हैं, जो मुख्यतः जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और तिब्बत में स्थित है |
  • जास्कर श्रेणी की सबसे ऊंची चोटी कामेट (7,756 m) हैं, जो उत्तराखंड – तिब्बत की सीमा पर स्थित है |
  • लद्दाख और जास्कर श्रेणी के बीच सिंधु नदी घाटी स्थित है |
  • लेह-श्रीनगर मार्ग को जोड़ने वाला फोटुला दर्रा जास्कर श्रेणी में स्थित है |

मुख्य हिमालय

  • मुख्य हिमालय ट्रांस हिमालय के दक्षिण में स्थित हैं, जो पश्चिम में सिंधु घाटी से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र घाटी के मध्य लगभग 2,400 किलोमीटर तक फैला हुआ है |
  • मुख्य हिमालय के दोनों किनारों पर अक्षसंघीय मोड स्थित है | हिमालय की दो मोड़दार भुजाएं हैं, जो पश्चिम में हिंदूकुश, सुलेमान और किरधर श्रेणियों के रूप में, तो पूर्व में पूर्वांचल और अराकोनम पर्वत श्रेणियों के रूप में फैली हुई हैं |
  • मुख्य हिमालय की चौड़ाई, पूर्व (150 KM) की तुलना में पश्चिम (400 KM) में अधिक है |
  • हिमालय का दक्षिणी भाग का ढाल तीव्र हैं, जबकि उत्तरी भाग मंद होने के कारण वहां बर्फ का जमाव अधिक होता है |
  • मुख्य हिमालय की निम्नलिखित 3 प्रमुख श्रेणियां हैं –
    1. वृहद हिमालय
    2. लघु हिमालय
    3. शिवालिक हिमालय

वृहद हिमालय

  • यह मुख्य हिमालय की सबसे उत्तरी श्रेणी हैं, जो पश्चिम में नंगा पर्वत से पूर्व में नामचा बरवा चोटी के मध्य 2,400 किलोमीटर तक विस्तृत है |
  • वृहद हिमालय की औसत ऊंचाई 61,00 मीटर है और औसत चौड़ाई 25 किलोमीटर हैं |
  • बृहद हिमालय विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी है, जो पूरे वर्ष भर से ही रहती हैं, इसलिए इसे हिमाद्रि भी कहा जाता है |
  • वृहद हिमालय में ही विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848 m) स्थित है |
  • यहां क्लिक करके पढ़ें – विश्व की पर्वत श्रेणियां और चोटी
  • वृहद हिमालय में गंगोत्री, यमुनोत्री, सतोपंथ, पिंडर, मिलान जैसे हिमनद (Glacier) हैं, जिनसे भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख नदियों का उद्गम होता है |
  • बृहत हिमालय में स्थित प्रमुख दर्रे निम्नलिखित हैं –
    • बुर्जिल दर्रा श्रीनगर – गिलगित को जोड़ता है
    • जोजिला दर्रा श्रीनगर को लेह से होता है
    • शिपकीला दर्रा सतलज नदी का प्रवेश द्वार
    • लिपुलेख दर्रा उत्तराखंड और तिब्बत के बीच में स्थित हैं |
    • नाथूला दर्रा सिक्किम और तिब्बत को जोड़ता है
    • जेलेपला दर्रा सिक्किम में स्थित है |
  • यहां पर सभी दर्रो के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी हैं आप यहां क्लिक करके भारत के सभी दर्रे के बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं |

लघु हिमालय

  • वृहद हिमालय के दक्षिण में स्थित लघु हिमालय को मध्य हिमालय या हिमाचल हिमालय के नाम से भी जाना जाता है |
  • लघु हिमालय की ऊंचाई 3,700 से 4,500 मीटर तक हैं तथा चौड़ाई 50 से 80 किलोमीटर तक हैं |
  • वृहद हिमालय तथा लघु हिमालय के बीच कश्मीर, कुल्लू, कांगड़ा तथा काठमांडू घाटी स्थित है |
  • पीर पंजाल, धौलाधर, मसूरी, नागटिब्बा, महाभारत तथा ब्लैक माउंटेन की श्रेणियां, लघु हिमालय का भाग है |
  • लघु हिमालय श्रेणी में शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान पाए जाते हैं, जिन्हें कश्मीर में मर्ग तथा उत्तराखंड में बुग्याल या पयाला कहते हैं |
    • यह मैदान अल्पाइन चरागाह है, जहां स्थानीय समुदाय अपने पशुओं को चराने के लिए लाते हैं, लेकिन शीत ऋतु के दौरान यह बर्फ से ढक जाते हैं |
  • लघु हिमालय में शिमला, मनाली, नैनीताल, धर्मशाला, मसूरी जैसे पर्वत पर्यटन स्थल स्थित है |
  • लघु हिमालय में स्थित प्रमुख दर्रे निम्नलिखित हैं –
    • बनिहाल दर्रा श्रीनगर को जम्मू से जोड़ता है
    • पीरपंजाल दर्रा श्रीनगर को पीओके से जोड़ता है
    • रोहतांग दर्रा कुल्लू घाटी को लाहौल स्पीति घाटी से जोड़ता है

शिवालिक (बाह्य हिमालय)

  • शिवालिक श्रेणी, हिमालय की नवीनतम और दक्षिणतम श्रेणी हैं | इसका निर्माण वृहद हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा लाई गई असंगठित अवसादो से हुआ हैं |
  • यह श्रेणी खंडित रूप में हैं इसकी ऊंचाई 5,00 से 15,00 मीटर तक हैं तथा चौड़ाई 10 से 50 किलोमीटर के बीच में हैं |
  • शिवालिक श्रेणी को जम्मू पहाड़ियां उत्तराखंड से दुदवा, धांग, नेपाल में चूडियाघाट तथा अरुणाचल में डाफला, अबोर, मिश्मी, आदि के नाम से जाना जाता है |
  • शिवालिक तथा लघु हिमालय के बीच स्थित समतल घाटियों को पश्चिमी हिमालय में ‘दून‘ वहीं पूर्वी हिमालय क्षेत्र को ‘द्वार‘ कहते हैं |
    • जैसे – देहरादून, कोटलीदून, हरिद्वार आदि |
    • इन घाटियों का उपयोग चावल की खेती के लिए किया जाता है |

पूर्वांचल

  • भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी तक उत्तर से दक्षिण की ओर विस्तृत पहाड़ियों को सम्मिलित रूप से पूर्वांचल कहा जाता है |
  • इन पहाड़ियों का निर्माण भारतीय तथा बर्मा प्लेट के अभिकरण से हुआ है |
  • पूर्वांचल में मुख्यतः पटकाई बूम (अरुणाचल प्रदेश) नागा पहाड़िया, मणिपुर पहाड़िया, मिजो पहाड़िया, त्रिपुरा पहाड़िया, बराइल पहाड़िया (असम और नागालैंड), लैमानेड पहाड़िया (मणिपुर), लुशाई पहाड़ियां (मिजोरम), अराकान पर्वत (म्यानमार), आदि शामिल है |
  • मुख्यतः यह बालू पत्थर से निर्मित पहाड़ियां हैं |
  • इस क्षेत्र में मानसून भावनाओं द्वारा भारी वर्षा होती हैं, इसलिए यहां गहन वनस्पति और जैव विविधता पाई जाती हैं |
  • यह विश्व के 36 जैव विविधता हॉटस्पॉट में शामिल हैं |

हिमालय का प्रादेशिक विभाजन

सिडनी बुराई ने हिमालय का क्षेत्रीय विभाजन प्रस्तुत किया है, जिसमें विभिन्न नदियों ने हिमालय को 4 प्रमुख क्षेत्रीय भागों में विभाजित किया है |

हिमालय के 4 प्रादेशिक विभाजन निम्नलिखित हैं –

  • कश्मीर हिमालय – सिंधु नदी से सतलज नदी
  • कुमाऊं हिमालय – सतलज नदी से काली नदी
  • नेपाल हिमालय – काली नदी से तीस्ता नदी
  • असम हिमालय – तीस्ता नदी से ब्रह्मपुत्र नदी
Himalaya Ka Pradeshik Vibhajan
Himalaya Ka Pradeshik Vibhajan

कश्मीर हिमालय

  • सिंधु नदी से सतलज नदी के बीच पूर्व से पश्चिम दिशा में 560 किलोमीटर के हिमालय के भाग को कश्मीर हिमालय कहा जाता है |
  • इस क्षेत्र को कश्मीर हिमालय के अलावा पंजाब हिमालय तथा हिमाचल हिमालय भी कहा जाता है |
  • यहां हिमालय क्रमिक रूप से ऊंचाई प्राप्त करता है और यहां चौड़ाई सर्वाधिक 250 से 400 किलोमीटर तक पाई जाती हैं |
  • इस भाग की मुख्य पर्वत श्रेणियां जास्कर, पीर पंजाल और धोलापुर आदि हैं |
  • नंगा पर्वत (8,126 m) इस क्षेत्र की सर्वोच्च चोटी है |

कुमाऊं हिमालय

  • सतलज नदी से काली नदी के बीच पूर्व से पश्चिम 320 किलोमीटर के हिमालय के इस भाग को कुमाऊं हिमालय कहा जाता है |
  • कुमाऊं हिमालय मुख्य रूप से उत्तराखंड राज्य में हैं |
  • कश्मीर हिमालय की अपेक्षा यह अधिक ऊंचा हैं |
  • चमोली उत्तराखंड में स्थित नंदा देवी (7,816 m) इस भाग की सर्वोच्च चोटी है |
  • इस भाग में नंदा देवी, कामेट, त्रिशूल, बद्रीनाथ, केदारनाथ, आदि प्रमुख पर्वत चोटियां हैं जबकि गंगोत्री, यमुनोत्री जैसे ग्लेशियर हैं, जो भारत की प्रमुख नदियों के स्त्रोत हैं |

नेपाल हिमालय

  • काली नदी से तीस्ता नदी के बीच 800 किलोमीटर के हिस्से को नेपाल हिमालय कहां जाता है |
  • यह भाग मुख्यतः नेपाल में तथा कुछ हिस्सा तिब्बत, सिक्किम और पश्चिम बंगाल में भी हैं |
  • यहां हिमालय की चौड़ाई कम है, लेकिन ऊंचाई सर्वाधिक है |
  • इस भाग में माउंट एवरेस्ट, कंचनजंगा, मकालु, धौलागिरी, अन्नपूर्णा, जैसी विश्व की सर्वोच्च ऊंची चोटियां स्थित है |

असम हिमालय

  • तीस्ता नदी से ब्रह्मपुत्र नदी तक 720 किलोमीटर के भाग को असम हिमालय के नाम से जाना जाता है |
  • यह भाग तिब्बत, सिक्किम, भूटान, अरुणाचल प्रदेश और असम में स्थित है |
  • इस भाग में हिमालय की ऊंचाई पुनः कम होने लगती हैं तथा चौड़ाई भी सबसे कम यहीं पर हैं |
  • इस भाग की प्रमुख चोटियां नामचा बरवा, कुला कांगड़ी, चोमोल्हारी, पोहुनी, कांगतो आदि हैं |
  • तिब्बत में स्थित नामचा बरवा (7,782 m) यहां की सर्वोच्च चोटी हैं |

हिमालय पर्वतीय प्रदेश का महत्व

  • हिमालय पर्वत भारतीय जलवायु को प्रभावित करता है | हिमालय की चोटियां साइबेरिया से आने वाली ठंडी हवाओं को रोकती है, जिससे भारत की जलवायु उष्ण कटिबंधीय हैं |
  • बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में मानसून हवाएं हिमालय से टकराने के बाद ही भारत के उत्तरी हिस्से में वर्षा करती हैं |
  • हिमालय क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर हैं |
  • हिमालय के ग्लेशियर भारत की अधिकतर नदियों के स्रोत हैं |
  • हिमालय, पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं |
  • सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी हिमालय भारत की प्राकृतिक सीमा के तौर पर कार्य करता है |

भौतिक आधार पर हिमालय को कितने भागों में बांटा गया है ?

भौतिक आधार पर हिमालय को तीन भागों में बांटा गया है – 1.ट्रांस हिमालय, 2.मुख्य हिमालय और 3.पूर्वांचल |

कुमाऊं हिमालय किसे कहते हैं ?

हिमालय के प्रादेशिक विभाजन में सतलज नदी से काली नदी के बीच 320 किलोमीटर के हिस्से को कुमाऊं हिमालय कहा जाता है |

इस आर्टिकल में आपने हिमालय के बारे में पूरी जानकारी पढ़ी हैं | इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिए तथा ऐसी ही जानकारी की तुरंत अपडेट के लिए यहां क्लिक करके हमारे Telegram Channel से जुड़े |

इस Topic की PDF उपलब्ध है, यहाँ से डाउनलोड करें 👇️

Download Now (सभी Topics की)

Naresh Kumar is Founder & Author Of EXAM TAK. Specialist in GK & Current Issue. Provide Content For All Students & Prepare for UPSC.

Leave a Comment

Best GK और Current Affairs के लिए👇️

SUBSCRIBE YouTube || Join Telegram